Thursday, October 7, 2010

कम्प्यूटर इलैक्ट्रानिक प्रौद्योगिकी की उपलब्धि है ।  आज के इस इलैक्ट्रानिक युग में कम्प्यूटर एक बहुआयामी उपकरण के रूप में सामने आया है।  कार्यक्षमता में सुधार लाने तथा समय की बचत को देखते हुए इसका प्रयोग अनिवार्य बन गया है।  कम्प्यूटर का प्रयोग जीवन के हर क्षेत्र में फैल रहा है।  कम्प्यूयर का महत्व सर्वविदित एवं सर्वव्यापी हो गया है। यदि आप रोजगार की तालाश में हैं, वर्तमान रोजगार में तबदीली चाहते हैं कैंसर जैसी भयानक बीमारी में जूझ रहे रोगियों के बारे में जानकारी हांसिल कर उनकी सेवा करना चाहते हैं या दुनियां के किसी पहलू की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो संबंधित वैबसाइट में प्रवेश कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इसमें कोई सदेंह नहीं की मौजूदा दौर में डॉक्टर कंप्यूटर के आगे बैठकर मरीज की बीमारी जांचते हैं। मानव के प्रत्येक अंग की कंप्यूटर द्वारा जांच की जाती है। वर्तमान में टेलीमेडिसिन और वीडियो  कंसलटेंसी आम बात हो चुकी है। सच तो ये है कि कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में हुई वृद्धि की  वजह से हेल्थ केयर सेक्टर में अन्य सेक्टरों की तुलना में काफी बदलाव आया है। इस  क्षेत्र में आई बढ़ोतरी का प्रमुख कारण है कंप्यूटर और मजबूत अर्थव्यवस्था।

टेलीमेडिसिन, क्लिनिकल मेडिसिन का तेजी से बढ़ता हुए एप्लीकेशन है जहां मेडिकल इंफॉर्मेशन का आदान-प्रदान फोन या इंटरनेट के द्वारा होता है।  कभी-कभी इसमें सलाह लेने के लिए अन्य नेटवर्क का भी प्रयोग किया जाता है। टेलीमेडिसिन एक आसान चिकित्सा है। यह बिलकुल वैसी ही है जैसे दो हेल्थ प्रोफेशनल फोन पर बात कर रहे हों। यही नहीं, इसके मार्फत अलग-अलग मुल्कों में बैठे डॉक्टर एक ही समय पर सेटेलाइट टेक्नोलॉजी और वीडियो कांफ्रेसिंग इक्विपमेंट के द्वारा बात कर सकते हैं। सामान्यत: टेलीमेडिसिन, क्लिनिकल केयर की डिलीवरी के लिए कम्युनिकेशन और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।

जहां डैस्कटॉप तथा लैपटॉप हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं वहीं इनके प्रयोग से हमारे स्वास्थ्य पर होने वाले दुषपरिणामों की जानकारी भी हम यहां दे रहे हैं-

डैस्कटॉप
कंप्यूटर को दो घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को आंख की मांसपेशियों में तनाव की शिकायत होने लगती है । इसकी वजह से सिरदर्द, आंखों  में जलन, धुंधला दिखना, फोकस न कर पाना, गले और गर्दन का दर्द जैसी समस्याएं भी होती है।”- विशेषज्ञों की राय

जो लोग कंप्यूटर या  इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं उन में बातचीत कम होती है जिसकी वजह से डिप्रेशन की संभावना काफी बढ़ जाती है। अकसर कम्प्यूटर पर देर तक काम करते रहने से लोगों को लगाव हो जाता है। ऐसे में जब लोग कम्प्यूटर  पर काम नहीं कर पाते तो वह भावनात्मक तौर पर निराश हो जाते हैं और उन्हें गुस्सा  ज्यादा आता है।  इस निराशा से बचने के लिए  कंप्यूटर पर सीमित समय व्यतीत करें ।

कंप्यूटर  इस्तेमाल से आंखों के नीचे काले घेरे, सिरदर्द, आंखों में थकान जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में अब यह भी संभव नहीं कि कंप्यूटर पर काम करना बंद कर दिया जाए या कम कर दिया जाए। शोध यह दर्शाते हैं कि कंप्यूटर को दो घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को आंख की मांसपेशियों में तनाव की शिकायत होने लगती है। इसकी वजह से सिरदर्द, आंखों में जलन, धुंधला दिखना, फोकस न कर पाना, गले और गर्दन का दर्द जैसी समस्याएं भी होती है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसका उपचार कर लिया जाए, ताकि बाद में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। कार्यस्थल की जगह में इस बात को जांच लें कि जहां आप बैठते हैं, वहां रोशनी समुचित मात्रा में आती हो। साथ ही इस बात पर भी गौर करें कि आपकी कुर्सी की ऊंचाई सही हो। कंप्यूटर की स्क्रीन की ब्राइटनेस को कंप्यूटर के अनुरूप रखें। बैकग्राउंट और ऑन स्क्रीन कैरेक्टर के बीच का कंट्रास्ट ज्यादा रखें। फुल टाइम कंप्यूटर इस्तेमाल  करने वालों को प्रत्येक घंटे में दस मिनट  का ब्रेक लेना चाहिए। 

ऐसा माना जाता है कि कम आवृत्ति वाला चुंबकीय क्षेत्र जैसे कि परंपरागत (नॉन फ्लैट स्क्रीन) कंप्यूटर मॉनीटर और लैपटॉप के बायोलॉजिकल प्रभाव होते हैं जो विकसित होते टिशुओं को प्रभावित करते हैं।  स्क्रीन से उचित दूरी रखें । ऐसे में अगर आपको मॉनिटर देखने में दिक्कत आती है, तो टेक्स्ट साइज बढ़ाएं।
लैपटॉप

कई लोग भारी लैपटॉप बैग गलत तरीके से टांगते हैं। इससे गर्दन, कंधे और लोअर, अपर बैक की मांसपेशियों में दर्द होता है। इन परेशानियों से बचने के लिए नियमित एक्सर्साईज़ की जरूरत होती है    - फीज़ियोथैरेपिस्ट की राय

लैपटॉप पर देर तक काम करने से गले में अकड़न और दर्द होता है। गलत मुद्रा की वजह से गले में दर्द जैसी दिक्कतें आती है। ज्यादातर कोहनी हवा में रहती है, जिससे कंधे और गले की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं जिस कारण सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस की परेशानी भी हो सकती है। कई लोग भारी लैपटॉप बैग गलत तरीके से टांगते हैं। इससे गर्दन, कंधे और लोअर, अपर बैक की मांसपेशियों में दर्द होता है। इन परेशानियों से बचने के लिए नियमित व्यायाम की जरूरत होती है । आप दिन में कुछ समय कंधे को पीछे और आगे की तरफ घुमाने की क्रिया कर सकते हैं। अपने सिर को एक से दूसरी ओर घुमाएं। कुछ देर आकाश की तरफ देखें और उसके बाद रिलैक्स हों।

लैपटॉप में काम करने के दौरान आपके हाथों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। ज्यादा टाइपिंग करने की वजह से मीडिएन नर्व में रेपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी (आरएसआई) हो जाती है जिससे कॉरपल टनल सिंड्रोमहो सकता है। डाक्टरों के अनुसार इसकी वजह से अंगुलियों में दर्द और कंपन होता है। इससे अंगुलियों में सुन्न, दर्द, हाथ की मजबूती में कमी, किसी वस्तु को पकड़ने में दिक्कत और कई अन्य मोटर स्किल (जैसे लेखन) करने में परेशानी होती है।   जब आप टाइप कर रहे हों तो आपके हाथों की स्थिति ठीक होनी चाहिए।  कोहनी एक सीध में होनी चाहिए। कलाई किनारे की तरफ नहीं मुड़नी चाहिए।

एक ही मुद्रा में देर तक बैठे रहना, गलत पोश्चर में काम करना, गसत कुर्सी का उपयोग करना आदि कुछ मुख्य कारण हैं जिनसे गर्दन से लेकर पैरों तक  में तकलीफ पनप सकती है।  इसके अलावा फोन, की-बोर्ड, माऊस आदि के गलत जगह रखे रहने तथा ज्यादा देर तक खड़े रहने का काम करने में भी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसके कारण कमर दर्द, मस्कुलर स्केलेटन मिसकोआर्डिनेशन, गर्दन तथा बाहों में दर्द पैरों तथा कंधों में दर्द एवं डीप वेन थ्रांबोसिस जैसी परेशानियां हो सकती हैं ।

अगर आप गर्भवती हैं या आपको गर्भ ठहरने की संभावना है तो कंप्यूटर अथवा लैपटॉप पर कम समय व्यतीत करें और जहां तक संभव हो लैपटॉप को अपनी गोद में न रखें” – शोध कार्य


न्यूयॉर्क की स्टेट यूनिवर्सटी के शोधकर्ता समूह द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि जो पुरुष गोद में रखकर लैपटॉप का प्रयोग करते हैं, उनके अंडकोश का तापमान 2.6 से 2.8 डिग्री बढ़ जाता है। तापमान बढ़ने से स्पर्मस बनने की संख्या में कमी आती है।  शोध जारी है कि गोद पर लैपटॉप रखकर काम करने से और बांझपन में कितना संबंध है

बोशक लैपटॉप को गोद में  रख कर इस्तेमाल करने के लिहाज से बनाया गया है, लेकिन सच्चाई ये भी है कि गोद में लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करना भी सुरक्षित नहीं। आप लैपटॉप को किसी ऐसी जगह पर प्रयोग करें जैसे कि आप  डेस्कटॉप का करते हैं।

यह बात सही है  कि महिलाओं का मल्टी टास्किंग स्वरूप अब आम होता जा रहा है ।  वे घर से बाहर तक की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं ।  एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर से लेकर खुद का बिजनेस संभालने तक काम वे दक्षता से कर रही हैं ।  बदलती सौच और सकारात्मक माहौल ने उन्हे पढ़ने-लिखने से लेकर खुद के स्वास्थ्य के प्रति भी काफी सतर्क बना दिया है लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो छुप कर वार करते हैं ।  खासतौर पर जब वे अपने दिन का लंबा समय ऑफिस में बिताती हैं ।  जब ज्यादा समय कम्प्यूटर के सामने बीतता है तो ऐसे में आखों में पानी आना, खजली होना, जलन होना, आंखों यह सर में दर्द होना आदी की पूरी संभावनाएं होती हैं ।

ध्यान रहे कि आप कम्प्यटूर के मास्टर तो हो सकते हैं लेकिन दास (स्लेव) न बने।  यदि आप डैस्कटॉप या लैपट़ाप का सही ढंग से प्रयोग करते हैं तो उपरोक्त समस्त परेशानियों से सदैव मुक्त रहेंगे तथा आपका शरीर भी आरोग्य रहेगा ।